धनबाद में हिस्सेदारी मुआवजा व रोजगार के मुद्दे पर मुखर हुए मयूर शेखर
# कोयला मंत्री को लिखा पत्र, मांगे पूरी नही होने पर करेंगे उग्र आंदोलन
धनबाद। धनबाद में हिस्सेदारी मुआवजा रोजगार के मुद्दे पर युवा नेता मयूर शेखर झा लगातार मुखर हैं. उन्होंने कहा कि धनबाद आज यह तीन अधिकार मांग रही है और यह धनबाद का अधिकार है.धनबाद परिसदन में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं।
बगैर मुआवजा दिए कम्पनियां कर रही कोयले का खनन
मयूर शेखर झा ने मुआवजा के संदर्भ में बताया कि धनबाद में आज 80-90 प्रतिशत जो कोलियरी चल रही है वह बगैर भूमि अधिग्रहण के चल रही है.मुआवजा के मामले पर कम्पनियां और बीसीसीएल एक हो जाती है और जमीन को विवादित जमीन बताकर मुआवजा देने से पल्ला झाड़ लेती है. अब अगर जमीन विवादित है तो फिर खनन का अधिकार किसने दिया.न्याय आधार होना चाहिए, न्याय बराबरी की होनी चाहिए.
ओने पौने दामों में जा रही रैयतों कि जमींने
मयूर शेखर झा ने हिस्सेदारी की बात पर कहा कि भूमि अधिग्रहण पॉलिसी को नजर अंदाज किया जा रहा है.पॉलिसी के तहत मार्केट रेट के चार गुना मुआवजा रैयत देने का प्रावधान है जबकि इसमें भी पारदर्शिता नही अपनाई जा रही है. अब अगर कोई सीएनटी कि जमीन है जिसका ट्रेडिंग नही हुआ है तो फिर आखिर उसका मार्केट प्राइज कैसे डिफाइन होगा अब यहां हो यह रहा है कि बीसीसीएल और प्राइवेट कंपनी अपने तरीके से प्राइज तय कर ओने पौने दाम में मुआवजा देकर जमीन ले लेती है जोकि न्याय संगत नही है.
कोयला मंत्री को लिखा पत्र
मयूर शेखर झा ने कहा कि धनबाद विधानसभा क्षेत्र के बीसीसीएल के प्रभावित इलाके में विस्थापन नियोजन, पुनर्वास एवं अन्य विभिन्न समस्याएं हैं. धनबाद विधान सभा क्षेत्र के कुसुंडा, गोधर, गोंदुडीह, घंसाडीह 4 नंबर, करकेंद जैसे इलाकों में वर्षों से एक बड़ी आबादी भू-धंसान एवं अग्नि प्रभावित क्षेत्र में ब्लास्टिंग की जोरदार धमक सहकर भी रहने को मजबूर है, धनबाद शहर में विस्थापन और पुनर्वासन धनबाद कोयलांचल के लिए वर्षों से एक प्रमुख मुद्दा भी है, लेकिन उनकी समस्याओं को मौजूदा सरकार या कंपनी प्रबंधन अब तक अनसुना करते आ रहे हैं। रैयतों का जमीन अधिग्रहण, मुआवजा और नियोजन स्थाई तरीके से अब तक नहीं हो पा रही है। जिस वजह से यहां के रैयतों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, निजी संवेदकों से अपने मुआवजा लेने हेतु रैयतों को लड़ाई लड़ना पड़ रहा है जान गंवानी पड़ रही है। इसपर कोयला मंत्री सतीश चंद्र दूबे से मांग है कि लेंड एकयुजिसन एक्ट के तहत व्यवस्थित रूप से मुआवजा, रोजगार सहित अन्य सुविधाएं रैयतों को उपलब्ध कराई जाय.
हैवी ब्लास्टिंग के कारण खतरे में जान
मयूर शेखर झा ने पत्र में बताया है कि बीसीसीएल के काफी इलाके में कंपनी के अधीन चल रहे आऊटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा विस्थापितों को बिना पुनर्वास किए हैवी ब्लास्टिंग किया जा रहा है, जिसके लोग काफी खतरे में जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं, वहां की स्थिति ऐसा उत्पन्न हो गई है कि, वहां पर निजी कोयला कंपनियों द्वारा खनन किया जा रहा है, उसके 100 मीटर के दायरे में सरकारी स्कूल सहित सैकड़ो मकान में लोग निवास कर रहे हैं जिसमें हैवी ब्लास्टिंग सहित अन्य खतरे से लोग काफी सहमें हुए हैं, उन्हें तत्काल मुआवजा सहित पुर्नावासित कर खनन कार्य करवाया जाए।
आउट सोर्सिंग कंपनियों में 75% कोयला क्षेत्र के स्थानीय युवाओं को रोजगार सुनिश्चित हो
मयूर शेखर झा ने मांग करते हुए कहा कि बीसीसीएल के गोधर, मटकुरिया, घंसाडीह क्षेत्र में हजारों लोग वर्षों से मकान बनाकर विस्थापित परिवार बसे हुए हैं। जिसमें बीसीसीएल या आऊटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा अब तक पानी बिजली तक उन्हें मुहैया नहीं करवाया जा रहा है जिस वजह से वहां के विस्थापितों को गंदे पानी पीकर गुर्र बसर करना पड़ रहा है।बीसीसीएल अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में जितने भी निजी आउटसोर्सिंग कंपनियां कार्य कर रहे हैं, उन कंपनियों में स्थानीय रैयतों, स्थानीय युवाओं को रोजगार अब तक सही तरीके से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कर उन आउटसोर्सिंग कंपनियों में 75% कोयला क्षेत्र के स्थानीय युवाओं को रोजगार सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि इन सभी मांगो पर विचार नही किया गया तो एक बड़ी लड़ाई लड़ेंगे।