जगजीवन नगर करमा महोत्सव का करम डाला विसर्जन के साथ पर्व संपन्न
धनबाद.जगजीवन नगर में आयोजित करमा पूजा महोत्सव का गुरुवार को समापन हुआ.दो दिन विधि विधान से करमा पर्व मनाने के उपरांत गुरुवार की सुबह गाजे – बाजे के साथ भाई के लिए व्रत रखी बहने नृत्य करते हुए जगजीवन नगर प्रेमचंद नगर होते हुए जावा डाला को जेसी मल्लिक स्थित खोकन तालाब में विसर्जित किया गया.हाड़ी जाति समाज सुधार समिति, सामाजिक संस्था युवा समिति द्वारा आयोजित इस करमा पूजा महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को मुख्य अतिथि पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय झा ने फीता काटकर किया.इस अवसर पर समाज की महिलाएं,युवतियों ने पारम्परिक गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया. करमा गीत, संगीत की धुन पर आकर्षक जावा नृत्य प्रस्तुत कर सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विजय झा ने इस अवसर पर कहा कि छोटानागपुर में घर – घर करमा पर्व मनाया जाता है. भाई बहनों का यह पवित्र त्योहार है. इस त्योहार में पूजा की सभी सामग्री प्रकृति से जुडी होती है. यह पर्व प्रकृति की रक्षा करने का भी संदेश देती है और इस पर्व में हमें प्रकृति की रक्षा करने का भी संकल्प लेना चाहिए.उन्होंने बच्चे – बच्चियों को सम्बोधित करते हुए उनसे शिक्षा की डोर को थामे रखने की अपील की. कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसे अपनाकर ऊचाईयों को छू सकते है.आइआइटी आईएसम के गणित विभाग के प्रोफेसर संजीव साहू ने कहा कि करमा पर्व झारखण्ड के अलावे बिहार और अन्य प्रांतो में भी हर्षउल्लास के साथ मनाया जाता है. करमा पर्व प्रकृति का पर्व है. प्रकृति वह ईश्वर का रूप है जो हमें अन्न, जल, वायु के साथ – साथ वह सबकुछ प्रदान करती है जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है. समाजसेविका सुमन राय ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए सभी से ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील की.सेन्ट्रल हॉस्पिटल के प्रमोद कुमार ने इस अवसर पर हाड़ी समाज के सभी लोगों को करमा पर्व कि शुभकामनाएं दी.जिला प्रवक्ता कार्तिक हाड़ी ने इस अवसर पर कहा कि करमा पर्व भाई-बहन के आपसी सद्भाव, स्नेह और प्रेम का प्रतीक है. बहनें सात दिनों तक करमा गीत के साथ लोक नृत्य करती हैं. इस पर्व में करम पौधे की डाली लगाकर पूजा की जाती है. इस दौरान महिलाएं करमडाली के चारों ओर घूम-घूमकर गीत गाती हैं.इस संपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्तिक हाड़ी,राजा हाड़ी, दीपक हाड़ी, राजेश हाड़ी, रंजीत हाड़ी, अमित हाड़ी, दिनेश हाड़ी, अमरदीप हाड़ी, विकास हाड़ी, संजय हाड़ी, कलाचंद हाड़ी, सुनील हाड़ी, पवन हाड़ी का सरहानीय योगदान रहा.