धनबाद। कहते हैं की सच्ची लगन व कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए भारतीय मजदूर संघ ने आज श्रमिक संगठनों के क्षेत्र में शून्य से शिखर तक का जो सफर तय किया वह संघ के एक-एक समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं का निस्वार्थ भाव से काम करने का फल है।
भा.म.संघ से संबंध धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के महामंत्री सह केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य रामधारी ने बताया कि 23 जुलाई 1955 को प्रसिद्ध श्रमिक नेता भा.म.संघ के संस्थापक स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी के नेतृत्व में संघ की स्थापना भोपाल में की गई थी। उस समय देश में चार प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, इंटक एच.एम.एस. और यू.टी.यू.सी. श्रमिक बहुल क्षेत्र में छाई हुई थी।
कोयला,इस्पात,बैंक, बीमा,रेल, आदि क्षेत्रों में इन्हीं का बोलबाला था। ऐसे में भारतीय मजदूर संघ ने बिना किसी प्रवाह के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वर्ष 1989 का समय भारतीय मजदूर संघ के लिए अविस्मरणीय रहा।
वर्ष 1955 से वर्ष 1989 तक 34 वर्षों में ही सभी केंद्रीय श्रम संगठनों को पीछे छोड़ते हुए अपने काम के बल पर पहली बार देश का नंबर एक श्रमिक संगठन बन गया राजनैतिक पार्टी में जुड़े न रहने के बावजूद हमेशा स्वदेशी विचारधारा को अपनाया साथ ही राष्ट्र,उद्योग और मजदूर हित की सर्वोपरि मानकर जो अपना सफर शुरू किया फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और शून्य से शिखर तक पहुंच गया।
अपने देश में श्रमिक संगठनों का इतिहास लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना है एटक देश का सबसे पुराना श्रमिक संगठन है।
31 अक्टूबर 1920 को गठन हुआ इसके बाद 3 मई 1947 इंटक, 29 दिसंबर 1948 एच एम.एम.एस. तथा 30 अप्रैल 1949 को यू.टी.यू.सी. का गठन हुआ। इन सभी केंद्रीय श्रमिक संगठनों के कई वर्षों बाद प्रभाव में आए भारतीय मजदूर संघ अपने स्पष्ट नीति के कारण आज शून्य से शिखर तक पहुंचा है।
- 2007 में भी केंद्रीय श्रम संगठनों को दोबारा सदस्यता सत्यापन मे भी प्रथम स्थान दर्ज की है सत्यापन सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मजदूर संघ 62,15,797 सदस्यता के साथ प्रथम स्थान पर इंटक 39,54,012 सदस्य के साथ द्वितीय स्थान पर एटक 34,42,239 के साथ तृतीय एच. एम.एस.33,38,491 के साथ चतुर्थ और सीटू 26,78,473 सदस्य के साथ पांचवें स्थान पर है।